महाराष्ट्र में तीन-भाषा नीति रद्द: हिंदी थोपने के आरोपों के बीच सरकार का बड़ा फैसला

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में लागू की जा रही तीन-भाषा नीति (Marathi, English, Hindi) को लेकर जारी दोनों सरकारी प्रस्तावों (GR) को रद्द कर दिया है। यह निर्णय राज्यभर में विरोध और हिंदी थोपने के आरोपों के बाद लिया गया है। अब सरकार ने इस नीति की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है।

🔹 विवाद क्या था?

16 अप्रैल और 17 जून को महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए तीन भाषाओं की अनिवार्यता का सरकारी प्रस्ताव जारी किया था — जिनमें मराठी, अंग्रेज़ी और हिंदी शामिल थीं। इस पर विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों, शिक्षकों और साहित्यकारों ने आपत्ति जताई और इसे मराठी भाषा पर हमला बताया।

राज ठाकरे की मनसे, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), एनसीपी (SP) और कांग्रेस जैसे दलों ने इस नीति का तीव्र विरोध किया। जगह-जगह प्रदर्शन हुए और लोगों ने GR की प्रतियां जलाकर अपना रोष जताया।

🔹 सरकार ने क्या सफाई दी?

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में केवल मराठी भाषा ही अनिवार्य है। हिंदी को केवल तभी पढ़ाया जाएगा जब कम से कम 20 छात्र उसका विकल्प चुनें। अन्यथा, छात्र किसी भी अन्य भारतीय भाषा को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ सकते हैं।

फडणवीस ने कहा कि यह तीन-भाषा नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का हिस्सा है और इससे राज्य पूरी तरह से बाहर नहीं हो सकता। हाँ, राज्य को यह स्वतंत्रता है कि वह इसे कैसे और किन कक्षाओं में लागू करेगा।

🔹 अब क्या होगा?

सरकार ने इस नीति की पुनर्समीक्षा के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। यह समिति तीन माह में रिपोर्ट देगी और सुझाव देगी कि:

  • किस कक्षा से यह नीति शुरू होनी चाहिए,

  • कौन-कौन सी भाषाएं चुनी जा सकती हैं,

  • और किस प्रकार यह छात्रों पर बोझ न बने।

जब तक समिति अपनी रिपोर्ट नहीं देती, तब तक कोई नई भाषा नीति लागू नहीं होगी

🔹 राजनीतिक मोर्चा भी गरमाया

इस मुद्दे ने महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज कर दी थी। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने एक साथ मोर्चा खोलने का ऐलान किया था। उन्होंने 5 जुलाई को बड़ा विरोध प्रदर्शन तय किया था, लेकिन सरकार के फैसले के बाद उस प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया।

विपक्ष का कहना है कि यह सिर्फ भाषा का सवाल नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता और संस्कृति की रक्षा का मामला है।


✅ निष्कर्ष:

सरकार ने विरोध और जनभावनाओं को देखते हुए एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन-भाषा नीति को रोक दिया है। आने वाले तीन महीनों में समिति की सिफारिशों के आधार पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। तब तक छात्रों और स्कूलों के लिए मौजूदा व्यवस्था ही लागू रहेगी, जिसमें मराठी अनिवार्य है और अन्य भाषाएं वैकल्पिक रहेंगी।


#महाराष्ट्र #तीनभाषानिति #हिंदीविवाद #मराठीभाषा #शिक्षानीति #NEP2020 #DevendraFadnavis #राजठाकरे #उद्धवठाकरे #शिवसेना #मनसे



Comments

Popular posts from this blog

Smriti Mandhana’s Historic Century Secures Series Win for India

Cristiano Ronaldo to Leave Al-Nassr!

The Former PM Manmohan Singh Dies #news