गाज़ा में भुखमरी ने पार किया खतरनाक मोड़, बच्चों पर पड़ेगा उम्रभर का असर
गाज़ा में इस्राइल की सैन्य कार्रवाई और मानवीय प्रतिबंधों के कारण भुखमरी एक "टिपिंग पॉइंट" पर पहुँच गई है, और यदि तुरंत राहत नहीं पहुंचाई गई, तो मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने की आशंका है। अंतरराष्ट्रीय राहत संगठनों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह स्थिति गाज़ा की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए बेहद गंभीर खतरा है।
अंतर्राष्ट्रीय बचाव समिति (IRC) की आपातकालीन मामलों की वरिष्ठ निदेशक किरिन लैनिंग ने कहा, "अब जनसंहार को रोकने का अवसर खत्म होता जा रहा है, और कई लोगों के लिए तो यह पहले ही देर हो चुकी है।" विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा है कि "पूरी की पूरी अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य और भलाई पर संकट मंडरा रहा है।"
डॉक्टरों की चेतावनी: छोटे-छोटे बच्चे भूख से मर रहे हैं
गाज़ा के ख़ान यूनुस के नासिर अस्पताल में डॉ. अहद जब्र खलाफ ने NBC न्यूज को बताया कि "हम इस समय एक भयंकर स्वास्थ्य आपदा का सामना कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि केवल बुधवार के दिन कई बच्चे भूख से मर गए।
गंभीर संकट के संकेत:
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89 बच्चे सहित 154 लोगों की मौत भूख के कारण हो चुकी है।
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खाने की चीज़ों की कीमतें आसमान छू रही हैं।
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डॉक्टर्स और राहतकर्मी भी खुद भूखे और थके हुए हैं।
IPC रिपोर्ट: ‘भुखमरी की सबसे खराब स्थिति’
Integrated Food Security Phase Classification (IPC) की रिपोर्ट के अनुसार गाज़ा में भुखमरी अब ‘worst-case scenario’ की ओर बढ़ रही है। ज़मीन पर लोग गिर रहे हैं, कई कुपोषण से मर चुके हैं, और दुनिया भर में नाराज़गी जताई जा रही है।
रिफ्यूजीज़ इंटरनेशनल के अध्यक्ष जेरेमी कोनिनडाइक ने कहा, "जब हर दिन कई मौतें सिर्फ कुपोषण से होने लगें, तो यह साफ संकेत है कि जनसंख्या पूरी तरह संकट में है।"
"इसका असर पीढ़ियों तक रहेगा"
जीनैट बेली, IRC की पोषण विशेषज्ञ ने कहा, "अगर तुरंत कुछ नहीं किया गया, तो मौतों का आंकड़ा बहुत तेज़ी से बढ़ेगा।"
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एमिली कीट्स ने चेतावनी दी, "यह स्थिति एक निर्णायक मोड़ पर है, और जब तक लोगों को सुरक्षित रूप से भोजन और स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलती, हालात बद से बदतर होंगे।"
CARE संगठन की प्रतिनिधि बेकी रयान ने कहा, "जो बच्चे इस समय कुपोषण से जूझ रहे हैं, उनके लिए जीवन भर की शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।"
लंबे समय तक प्रभाव:
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बच्चों में wasting (कम वजन) और stunting (कम लंबाई) की समस्या बढ़ी।
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सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी देखी जा रही है।
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कुपोषण से बच्चों के मस्तिष्क का विकास रुक सकता है।
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जिन लड़कियों को बचपन में कुपोषण हुआ, वे आगे चलकर कम वज़न वाले बच्चों को जन्म दे सकती हैं।
डॉ. मार्को केरैक ने कहा, "पहले 1000 दिन यानी जन्म से 2 साल की उम्र तक का समय सबसे संवेदनशील होता है। इस समय पोषण की कमी से जीवन भर का असर हो सकता है।"
निष्कर्ष:
गाज़ा में मानवता गंभीर संकट में है। बच्चों की पीढ़ी भूख से मर रही है या उम्रभर के लिए कमजोर हो रही है। राहत एजेंसियां कह रही हैं कि अब समय नहीं बचा। दुनिया को इस पर तुरंत ध्यान देना होगा – नहीं तो इसका असर दशकों तक महसूस किया जाएगा।
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